दासोंकी खबर क्या तुमको ? बैकुंठ पड़े रहते हो
(तर्ज : मैं तो तेरा दास प्रभू ! ...)
दासोंकी खबर क्या तुमको ? बैकुंठ पड़े रहते हो ।
दोजखमें फँसे हम तोभी, तुम नींद जडे रहते हो ।।टेक।।
पैदाही किसके लिये, दुनियामें किया है मुझको ? ।
अब याद भूल जाकरके, अमृत चढे रहते हो ।।१।।
अब भक्त बहुत हैं तेरे, एकीसे भला क्या होगा ? ।
कुछभी कदर न है मेरी, अपनेमें लडें रहते हो ।।२।।
तकदीरमें नहीं मेरे, कुछ द्वारपे खडा होना ।
तुकड्या जो मरा मरने दो, दिल ले क्यों दडे रहते हो ?।।३।।