वह अजब ख्यालका सपना
(तर्ज : गुजरान करो गरिबींमें बाबा ! .... )
वह अजब ख्यालका सपना, जिस सपनेमें मैं अपना जी ।।टेक।।
आपहि घोड़ा आपहि हाथी, आपहि अपना जाना ।
आपहि नीचे आपहि ऊपर, आप अपन पहिचाना जी ।।१।।
उस सपनेपर ख्याल करो कोई, दुसरा कौन बिराना ।
जो देखनवाला सपनेको, वही अलख निर्बाना जी ।।२।।
दृश्य जगत सपनेकी माया, नाशवान समझाना ।
दृष्टा जो सपनेको देखे, वह तेरा अभिमाना जी ।।३।।
स्थूल - सूक्ष्म - कारणसे न्यारा, तेरा रूप बिराना ।
कहता तुकड्या खोल नयनको, जगो ना सोना पाना जी ।।४।।