कहाँतक करते हो बाता

(तर्ज : गुजरान करो गरिबीमें बाबा ! .... )
कहाँतक करते हो बाता, इन बातोंमें क्या पाता है ? ।।टेक।।
देखे पंडित मौला काजी, बडे बडेहि गिराता ।
इस कालहिके दरगें भीतर, सबको भोना आता है ।।१।।
बातोंका घर छोड़ो प्यारे ! रखो प्रभूसे नाता ।
उस नातेसे प्रेम जडेगा, प्रभू बसे घर    आता    है ।।२।।
सद्गुरुके बचनोंपर रहना, यहही पंथ सुहाता ।
गुरुप्रतीती पाय रहो फिर, टुटे कालका  नाता   है ।।३।।
लगो अभीसें प्रभू-भजनमें, दिन बीता यह जाता ।
कहता तुकड्या दास गुरुका, सुन न रहो पल जाता है ।।४।।