अपने प्रभुसे रहो राजी । भाई !

(तर्ज : मिलादो सखी ! श्यामसुंदर.... )
अपने प्रभुसे रहो राजी । भाई ! ।।टेक।।
यह दुनिया सब भूल-भुलैया, मत कर किसकी हाँजी ।।१।।
सब मतलबके प्यारे जगमें, स्वारथके    सब   पाजी ।।२।।
बिन प्रभु कोउ न होत सहाई, सबकी कर  इतराजी ।।३।।
तुकड्यादास कहें इक साधे, सब साधे   इतरा  जी ।।४।।