सुधार तेरी जिंदगीको प्यारे ! सुधार

(तर्ज : सुभांन तेरी कुदरतकी है शान...)
सुधार तेरी जिंदगीको प्यारे ! सुधार ।।टेक।।
राज तेरे सरिखा नहिं कोई, क्यों खाता घन- मार ।।१।।
तेरोहि रूप भरो सबमाँही, तुझसे ज्योत - उबार ।।२।।
काल-बला यह दूजी नाहीं, खेला - खेलि पसार ।।३।।
क्यों डरता है जीने - मरनको ? तेरा रूप नियार ।।४।।
तुकड्यादास कहे समझाले, छोड़ो दूई - बिचारा ।।५।।