सम्हाल प्यारे ! ज्योतीको अपनी सम्हाल
(तर्ज : सुभांन तेरी कुदरतकी है शान...)
सम्हाल प्यारे ! ज्योतीको अपनी सम्हाल ।।टेक।।
देखे तो कुछभी नहिं पावे, कुछ नहिं वहाँ दे ख्याल ।।१।।
दृश्य सभी यह सपना जानो, सपने अंदर बाल ।।२।।
रंग न रूपा है न अकारा, सुन्न सिखर बनमाल ।।३।।
रातदीन कबहू नहिं बूझे, निर्गुण चालत चाल ।।४।।
तुकड्या बालक चरण सिधारे, उसिने किया प्रतिपाल ।।५।।