कहाँ ढूँढ देखूँ, प्रभू ! नूर तेरा
(तर्ज : दिखा दो नजर से यह जलवा ...)
कहाँ ढूँढ देखूँ, प्रभू ! नूर तेरा ।
जुदाई में भूला, फिरे जीव मेरा ।।टेक।।
तेरा पार मुझको, न किसने बताया ।
गये सो गये फिर, न देखा अँधेरा ।।१।।
कहे सो करे ना, करे सो कहे ना ।
लगे ना इसीसे, हमारा गुजारा ।।२।।
कई शास्त्र देखे, सभी हार बैठे ।
पता ना लगे, है कहाँपर उजारा ?।।३।।
कहीं संत भाखे, न निर्गुण सगुण वह ।
जहाँके तहा है भरा हुश्न तेरा ।।४।।
कहे दास तुकड्या, अरज ले हमारी ।
तू है सबमें व्यापक, सभीसे नियारा ।।५।।