ऐसे दिवानेको देखा भैया !
(तर्ज : दिखा दो नजर से यह जलवा ...)
ऐसे दिवानेको देखा भैया ! मरा हुआ जिंदा था ।।टेक।।
जवान होकर बुढा था और बूढ़ेसे लड़का था ।
राजीसे नाराजी जैसे, पाजीसे भी काजी था ।।१।।
रात भई जब जगता था और दिनको जा सोता था ।
जबाँ रही पर मूका, आँखे रहतेही अंधा था ।।२।।
कपड़ा होते नागा था, पर प्रीतमसे लागा था ।
पागल होकर ज्ञानी जैसी बात कहे निर्बानी था ।।३।।
प्यारा था पर न्यारा था और जीताही हारा था ।
तुकड्यादास कहे ऐसा था, जो जैसा-वैसा था ।।४।।