अपने ही धुनमें गाना
(तर्ज: नैनोंके भीतर नीला बीच...)
अपने ही धुनमें गाना, दिल बहलाना राममें ।।टेक।।
दिख खोल खोलकर प्यारा, नैननके बीच उजारा ।
अपने मस्तीका तारा, मन रंगवाना श्याममें ।।१।।
हो जंगल बस्ती कोई, मंदर हो कुटिया कोई ।
बस, प्रेम लगा दिलमाँही, पलपल लेना काममें ।।२।।
दुनियाकी आशा ना हो, विषयोंका फासा ना हो ।
कहे तुकड्या छलबल ना हो, समरसता हो नाममें ।।३।।