इस मायामें क्यों भूला ?
(तर्ज: नैनोंके भीतर नीला, बीच... )
इस मायामें क्यों भूला ? गोता खूला खारहा है ।।टेक।।
जो आज साथमें तेरी, कह कहाँतक तेरी बारी ? ।
बख्तमें छोड़कर सारी, जिय निर्धारी जा रहा है ।।१।।
ना जोरू साथमें आवे, ना लड़का साथ दिलावे ।
अंतमें सभी भग जावे, धोखा तूंही पारहा है ।।२।।
चलतीके दादा भाई, पड़ती के कौन सगाई ? ।
सब धनके होत जवाई, आखिर कोई ना रहा है ? ।।३।।
ये पलपल में अज़माता, फिर क्योंकर गोते खाता ? ।
कहे तुकड्या तज दे नाता, बिन प्रभु सुख ना हो रहा है ।।४।।