तुमबीन कौन है हमें, ए नाथ ! आखरी ?
(तर्ज: किस देवतानें आज मेरा... )
तुमबीन कौन है हमें, ए नाथ ! आखरी ? ।
पूरी न साथ देयगी दुनियाकि चाकरी ।।टेक।।
संसारके इस चक्र-जालमें फँसा हूँ मैं ।
बस, याद तेरे नामकी है आस कर पूरी ।।१।।
तुझसा न प्रीय जगतमें, टूजा मिले हमें ।
बस, दे दिदार आयके, यह अर्ज है भरी ।।२।।
कोई न मेरे पास है कि मेरी अर्ज दे! ।
दरबार में मैं पेश हूँ, सुनवा होजा मेरी ।।३।।
तुकड्या कहे, कहो न कहो, यहही है लगन ।
भये है मगन नाममें, न प्यास दूसरी ।।४।।