तनको मलमल न्हाया है

(तर्ज: संगत संतनकी करलें,... )
तनको मलमल न्हाया है, उसे दिल मैल बढाया है ।।टेक।।
सुगंध अत्तर खसकी साबू, खूब लगाया है ।
दिलका मैल बढे दिन-दिन में, झूठी माया है ।।१।।
पेचपाचकी पगड़ी बांधे, ढाल घडाया है ।
नजर हमारी परधन देखे, जनम गमाया है ।।२।।
शाल दुशाला जरि-पैजामा, गोफ लगाया है ।
पर स्त्री देखत जलता मनमें, नर्क उठाया है ।।३।।
कहत तुकड्या सब बाहरका, पहिना बाना है ।
काम क्रोधको वश नहि कीन्‍हा, सारा रोना है ।।४।।