जय गणराज महाराजा, अगसे नंग संग साजा।

(तर्ज : जमका अजब तडाका बे... )

जय  गणराज महाराजा, अगसे नंग संग साजा।।टेक ||

चरण लाल तब बालरुप धर, पद घुंगरू पहराई।
पीतांबर कटि पहिर गले बिच, मुक्तमाल सुखदाई ।। १ ।।

चमक रहा निज नाभि हिरा, तनु सेंदुर लाल मढाई ।
त्रिशुलांकित परशू कर साजे, गज शिर माथ चढाई ।। २ ।।

स्वार मुषकपर ध्यावत सुर नर, ब्रह्म सनातन भाई।
रिद्धि-सिद्धी गुण गावत जिनके, शिरपर चमर डुलाई ।। ३ ।।

भक्तकामकल्पद्रुम स्वामी, सबके विघ्न हटाई ।
तुकड्यादास आस गुण गावत, यहि बर दे निज पाई ।। ४ ।।