हमसे क्यों करते बातें ? हमको पागल कहवाते

(तर्ज: संगत संतनकी करले...)
हमसे क्यों करते बातें ? हमको पागल कहवाते ।।टेक।।
नही हमारा मँगना किसको, क्यों दुखवाते ? ।
आये फिरते फिरते यहाँपर, खुशी   उधर   जाते ।।३।।
पंच कोशका महल हमारा, बिच उसके रहते ।
दिल-दरगेकी खिड़की भीतर, दुनिया लख पाते ।।२।।
पूजा-पाती, नाक पकरना, कभू कही -पाते ।
कुदरत जैसी बखत दिलावे, उसमें गुण गाते ।।३।।
जाती, पाँती, नाती इनसे, दूर स्पदा - रहते ।
सद्गुरुसे लौ लगाके अपनी, उसमें डुल रहते ।।४।।
हमपर ताबा है न किसीका, हम सबसे- न्यारे ।
कहता  तुकड्यादास  गुरुका, आपहि उजियारे ।।५।।