करना देहहिको सारा, आतमा है सबसे न्यारा

(तर्ज: संगत संतनकी करले... )
करना देहहिको सारा, आतमा है सबसे न्यारा ।।टेक।।
देहहिको कर कपडे लत्ते, जरतारीका बाना ।
एक दिन देही चल जावे तो, मिट्टी होगा सोना ।।१।।
देहहिको कर माडि हवेली, सबसे ऊँच ठिकाना ।
एक दिन देहहि सुन्न पड़ेगी, पडा रहेगा ठाना ।।२।।
घोड़ा, जोडा, गादी-तकिया, देहहिको है पाना ।
देहहिसे जब प्राण भगेगा, होगा    दानादाना ।।३।।
कहता तुकड्या थोडेसेको, क्यों करता है खोडी ?।
पड़े रहो निर्बान मस्तिमें, करो प्रभू-से जोडी ।।४।।