लीजो खबर मेरी प्रभू ! यह दास दरपे है पड़ा
(तर्ज : मानलें कहना हमारा... )
लीजो खबर मेरी प्रभू ! यह दास दरपे है पड़ा ।। टेक।।
धीर मनमें है नही, पलपलही जाता वर्षसा ।
गर चलगयी ऐसी घड़ी, तब दुःखही होता बडा ।।१।।
पतितपावन नाम सुनकर, द्वारपर हाजिर हुआ ।
ख़बर हो दिनकी तुम्हे, बस आस लेकर हूँ खड़ा ।।२।।
सैकड़ोंही भक्तको, तुमने दिलाया दर्श है ।
मुझसे गरीबोंपरभी हो, ऐसी दया, करके अडा ।।३।।
दोषि हूँ गर जन्म का, तब भोग भोगूंगा पिछे ।
कहत तुकड्या इस समय, मेरी फिकर लेलो, जडा ।।४।।