साधो ! सुनले कहना रे ! सहजमें

(तर्ज : भले बेदांत पछाने हो...)
साधो ! सुनले कहना रे ! सहजमें सहजी रहना रे ।।टेक।।
भोग कर्मका चुका न किसको, तनपे सहना रे ! ।
अच्छा हो या बूरा हो, विपरीत न कहना रे ।।१।।
राज मिले या मिले गरीबी, निर्मल रहना रे ! ।
सदा हरीके नाम- मंत्रकी, धुनमें बहना रे ।।२।।
सब दुनिया है रंगरँगीली, दुरसे डरना रे! ।
काम-धाममें रहना, नेकी करके मरना रे ।।३।।
आगे पिछे जो कुछ होवे, नहि सँग धरना रे ! ।
तुकड्यादास कहे सुन बंदे ! भवमें तरना रे ।।४।।