अब जाग जरा, अब जाग जरा ।
(तर्ज : गुरु ! तुमहि तो हो...)
अब जाग जरा, अब जाग जरा । अब जाग जरा, सुन भाई रे ! ।।टेक।।
कर करनी कुछ जन्म मिटनकी, सुंदर नरतन पाई रे ।।१।।
मत सोवे इस झूठे जगमें, जमके मार न खाई रे ।।२।।
बखत गई फिर नहि आनेकी , प्रभुसे कर सु-मिताई रे ।।३।।
तुकड्यादास कहे गुरु भजले, वहि मारग बतलाई रे ।।४।।