ताब किसका न चलता गढीके उपर
(तर्ज : मेरी सूरत गगनमों .. .)
ताब किसका न चलता गढीके उपर । गढीके उपर एक तेरी सफर ।।टेक।।
चौदा भुवन देखा तेरा ठिकाना, पर कौन जाने न जाने उधर ।।१।।
मायाकी बिजलीमें सब भूल पाये, अंदरके मंदिरको परदे जबर ।।२।।
साच हिरा कोई बिरला पछाने, सत्-संगतीमें जो पावे सबर ।।३।।
बिन गुरुकिरपाके मारग नाहीं, साधूके सेवक ही पावे खबर ।।४।।
मिली जागिरी दास तुकड्याको तेरी, तुम्हारे सहारे तुम्हें खोजकर ।।५।।