हरदम साक्षी रहो मेरे भाई !
(तर्ज: मेरो प्रभू झूला झुले घरमाँही .. . )
हरदम साक्षी रहो मेरे भाई ! ।
मत भूल खाओ, करलो भलाई ।।टेक।।
तीरथ, मंदर, मसजिद, कुटिया, एकहिकी उजराई ।
दूजा यहाँ कौन ? किसने बनाया ? सब प्रभुकी प्रभुताई ।।१।।
प्रभु एक नटनागर है जगतमें, उसिने ये खेल खिलाई ।
जो कुछ होवे, समझ दूर होके, मत छू यह मनमें समाई ।।२।।
राजा वही और वहि है भिखारी, उसिने यह रचना बनाई ।
कहे दास तुकड्या, भूलो न दिलसे, रहो प्रभु-प्रेम लगाई ।।३।।