सोता पडा है तू क्यों ? घर चोर घुस गये हैं

(तर्ज : उँचा मकान तेरा... )
सोता पडा है तू क्यों ? घर चोर घुस गये हैं ।
सब माल ले भगे वह, बाकी न कुछ रहे हैं ।।टेक।।
कामादि शत्रुओंने, घर ले लिया है तेरा ।
कया भूल है तुझे यह, तू जानता नही है ।।१।।
मानुजकि देह पायी, पर-दास होवनेको ।
ऐसा न शास्त्र कोई, या कोईने कहा है ।।२।।
बचपन न था सम्हाला, तारूणभि फोल कीन्हा ।
अब आ गया बुढापा, बाकी न दिन रहे हैं ।।३।।
तुकड्या कहे पियारे ! सतसंग कर गुरुका ।
अपना भला समझले, नहि तो जनम बहे हैं ।।४।।