हमसे मत करना बातें, हम तो पागल कहलाते ।।

(तर्ज : जमका अजब तडाका बे...)

हमसे मत करना बातें, हम तो पागल कहलाते ।। टेक ।।

नहीं हमारा मँगना किसको, क्या किससे नाते ? ।
आये घुमतें घुमते जगमें, खुशी तभी जाते ।। १ ।।

पंचकोष के महलों अंदर, मस्त सदा रमते।
दिल-दर्गेका उड़े खटोला, ब्रह्मरंध्र न्हाते ।। २ ।।

पूजापाती नाक पकडना, कभू नहीं भाते।
कुदरत जैसी लगे चलाने, वैसे गुण गाते ।। ३ ।।

जाती -पाती -नाती सारी, उसीमें जलवाते।
सद्‌गुरु पूरा पालनवाला,  डुलते चल आते ।। ४ ।।

हमपर ताबा रहा न किसका, संत एक दाते।
कहता तुकड्या शीस नमाकर, गमको नित खाते ।। ५ ।।