हरिनाम भजन बिन कोई
(तर्ज: कायाका पिंजरा डोले...)
हरिनाम भजन बिन कोई, इस जगमें सुख नहि पाई ।।टेक।।
चाहे लाखों दान कराओ, चाहे शास्त्र भले पढ़ जाओ ।
दिल जरा शांति ना भाई ! इस जगमें०।।१।।
कोई जप तप साधन करते, कोई ध्यान-समाधी धरते ।
षड्विकार वश नहि होई, इस जगमें०।।२।।
कोई तीरथ-बरत मनावे, कोई बनमें धूनि जमावे ।
मन-लोभनसे सब खाई, इस जगमें०।।३।।
कहे तुकड्या प्रेम लगावे, अरु ईश्वरके गुण गावे ।
वहि तरे जिवनके माँही, इस जगमें०।।४।।