कुफर को छोड अभी प्यारे, देख दिलदार पास तेरे
(तर्ज : जमका अजब तडाका बे...)
कुफर को छोड अभी प्यारे, देख दिलदार पास तेरे ।। टेक ।।
काशी, मथुरा, गया, द्वारका, तीरथ के डेरे।
मन चंगा नहिं जबतक होवे, जन्ममरण घेरे ।। १ ।।
चार धाममें उमर गुजारी, कहाँ अविनाशी रे? ।
देख जरा अब घटके अंदर, सुन्दर काशी रे ।।२।।
बेद पुराणा पढ़ते पढ़ते, कौन भूल हारे।
इस मायाके झगडे म्याने, बहते भव सारे ।। ३ ।।
कहता तुकड्या सद्गुरु के बिन, कौन दुजा तारे।
वह एक तीरथ पूरण जानो, उसके गुण गा रे ।। ४ ।।