चुराकरके चले दिलको, बिछाये जाल गिरिधारी !

(तर्ज : मुझे क्‍या काम दुनियासे.. )
चुराकरके चले दिलको, बिछाये जाल गिरिधारी !
बड़ी जादू है यह तुझमें, खबर हमरी भुली सारी ।।टेक।।
थे हम अपनेहि सोचनमें, कि हम जमुना न जायेंगे ।
डारकर मोहनी तूने,  रँगाई आँखिया मोरी ।।१।।
देखकर श्यामकी मूरत, भगे सब काम अंदरके ।
जान अब मस्तसी बनकर, कहे बनवारी ! बनवारी ! ! ।।२।।
जिधर देखूँ उधर तू है, जहाँ देखूँ तेरी मूरत ।
सूरत दुसरी नही दिखती, लगे तनमनसे वह प्यारी ।।३।।
वह तुकड्यादास कहता है, भई गोपीकि यह हालत ।
करो प्रियता प्रभूसे यह, अभी मौजूद बनवारी ।।४।।