क्या फजूल बकते बाता ? इन बातोंसे क्या पाता है
(तर्ज: अलमस्त पिलाया प्याला... )
क्या फजूल बकते बाता ? इन बातोंसे क्या पाता है ।।टेक।।
वाद-वादमें समय गमाया, लगा न हरिसे नाता ।
पोथी तो रोतीही रहगई, समय मौतका आता है ।।१।।
भाव भक्ति तो जरा न जाने, जाने पंडित पोथा ।
प्रेम-भक्ति बिन हरी न पावे अनुभव साधू गाता है ।।२।।
ग्यानीकी ग्यानी चर्चा, और मूर्ख लगाते जूता ।
प्रेम नेम तो रहा पिछाडी, होती लातम लाता है ।।३।।
अपनी भूल नजरमें लाओ, पढो प्रभूकी गीता ।
तुकड्यादास कहे सुधरोजी, जनम अकारथ जाता है ।।४।।