लीजिये पुकार मेरी, दर्शकी हुजूर ! है
(तर्ज: जिंदगी सुधार बंदे ! यही तेरो... )
लीजिये पुकार मेरी, दर्शकी हुजूर ! है ।।टेक ।।
टूट गया जगका नाता, तूहि मात तूही ताता।
तूहि मित्र, तूही भ्राता, करीये न दूर है ।।१।।
कठन माया मोह माँही, सारि उमर हमने खोई ।
अब तो ना सताओ मुझको, पास लो जरूर है ।।२।।
अंतकाल कौन जाने, कौन वक्त करले ठाने ? ।
दूर ना करो दिननको, माफ कर कसूर है ।।३।।
फिक्रको मिटाना मेरी, हाथ है तुम्हारे सारी ।
तुकड्याकी अर्ज पूरी, करदो जी ! मंजूर है ।।४।।