कहना मत मानो साधूका, सुनलो बात यह प्यारे !
(तर्ज: वारी जाऊँरे साँवरिया...)
कहना मत मानो साधूका, सुनलो बात यह प्यारे ! ।।टेक।।
छूट पड़ेगा विषयविकारा, नही रहेगा लोभ तुम्हारा ।
भूल पड़े सब काम, राम रँँग लायगा रे ।।१।।
दूर भगेगी सोना-चाँदी, अंग चढेगी निर्मल खादी ।
रहे न किसके फंदी, छंद कुचालिया रे ।।२।।
भाई-बहने दूर रहेंगी, निंदा घर घर खूब कहेंगी ।
जोरू - लडके फेर फेर दे गालियाँ रे ।।३।।
कहे तुकड्या संतनका माने, तो वह जमके घर क्या जाने ?
अगर तुम्हें हो दुःख, सुख तजना पियारे ! ।।४।।