सुधारो देह - देवलको उसीका मैल धो करके

(तर्ज: अगर हैं ग्यानको पाना...)
सुधारो देह - देवलको उसीका मैल धो करके ।
बडा कचरा पडा अंदर, निकालो यार ! भरभरके ।।टेक।।
कहीं आशा औ मनशाका, घनाना गंदगी मारे ।
फँसायी जान कचरेमें, निकलवादो सफा करके ।।१।।
कहीं है कामकी काँटी, कहीं है क्रोधके भाले ।
कहीं मद-लोभकी चीली, लगी है डाल खोकरके ।।२।।
कहीं अग्यानकी आँधी, बुराई छागयी अंदर ।
उजारा है नहीं कुछभी, फँँसी है जान   डरडरके ।।३।।
कहे तुकड्या प्रभू-सुमरणकी झाड़ू हाथमें लेलो ।
करो तन साफ अंदरसे, उजारा ग्यान   भरमरके ।।४।।