साधो ! बनमेंहि काहेको भूल परा ?

(तर्ज: लिजो लिजो खबरीया.... )
साधो ! बनमेंहि काहेको भूल परा ?
तैने हरिका भजन क्यों दूर करा ? ।।टेक।।
छोडके घरदार सभी, ली तुँबडी साथमें ।
अंगमें बभूत चढा, माला धरी हाथमें ।
तेरा मन ना रँगा है,  रँगा    कपरा ।।१।।
ख्याल तो लगा है सभी धन जमा लूँ पासमें ।
ग्यान बताता है बडा रामका हूँ दास मैं ।
अपने बुरे करमको न छोडे जरा ।।२।।
यह फकीरी ना करो, दिल जो कि सुखमें है लगा ।
चल डटो संसारमें, काला अपनको ना लगा ।
तुकड्या कहता है, मान घटेगा तेरा ।।३।।