कैसे जाऊँ मैं मोरी गलि बंद भई

(तर्ज: लिजो लिजो खबरीया. . . )
कैसे जाऊँ मैं मोरी गलि बंद भई ।
जमुना भरके चली थोरी रीघ नहीं ।।टेक।।
बीचमें खडे हैं श्याम नंदके लला ।
रोक देखे ग्वालनको क्या करूँ भला ? ।
मोरे नैननबीच न    सूझे    कोई ।।१।।
चित्तके चुरानेहार आगये यहाँ ।
होगयी दिवानी, मुझे ना सुझे कहाँ ? ।
सारी श्यामने मोरि मति बाँध लई ।।२।।
बस गये जियामें श्याम, काम ना रहा ।
श्यामही खबर पडे जहाँ लखो वहाँ ।
सारी तुकड्याकी बातें तो योंही रही ।।३।।