सब भूल गये तन काज
(तर्ज : अब तुम दया करो महादेवजी.. . )
सब भूल गये तन काज, मनमें छाय गये गिरिधारी ।।टेक।।
जमुनातट बंसि बजाई, मनमोहन मोहनि लाई ।
उठ भाग चले घबराईजी, मन मौन भये दिश चारी ।।१।।
बड भाग दर्श मन लागा, नैननमें वह रँग जागा ।
बनगये जगतसे निसंगाजी, बस टूट गयी दुई सारी ।।२।।
नैननमों श्यामकि लाली, लालीमें श्यामछबीली ।
मैं देख देखकर भूलीजी, लग गयी श्यामकी तारी ।।३।।
अनहदकि मधुर धुनकारी, लगि तनमनको अति प्यारी ।
तुकड्याकि लाज गई सारीजी, जिया छोडत नाहि मुरारी ।।४।।