जप जाओ हरिके नाम
(तर्ज : अब तुम दया करो महादेवजी... )
जप जाओ हरिके नाम, दूजो साधन कलिमें नाही ।।टेक।।
मीठा है जनम हमारा, बिन नामके पशु - सम हारा ।
जो करे भजनसे प्याराजी, उसको फिर धोखा नाही ।।१।।
सत्-जुगके योग नियारे, कलिमें है नाम पियारे ! ।
यह संत-जबान पुकारेजी, विश्वास करो उनमाँही ।।२।।
नेकीसे जगमें जीओ, मन पाक कराकर छीओ ।
बस रामनाम मुख गाओजी, फिर दूजो मारग नाही ।।३।।
हो संतसाधुकी सेवा, उनका सिर बचन उठावा ।
कहे तुकड्या टूटत आवा जी, फिर दुःख जिवनमें नाही ।।४।।