जान ले अपना भरोसा, तूहिमें आराम है
(तर्ज : क्यों नही देते हो दर्शन... )
जान ले अपना भरोसा, तूहिमें आराम है ।।टेक।।
सौख्यरूप तू है ख़ुदी, क्यों ढूँढता हैं बाहरी ? ।
पूछ ले गुरुको भला, तो तृहिमें आराम हैं ।।१।।
षडविकारोंकी वजह, तुझको नरक भोना पडा ।
इन दुर्जनोंकों दूर कर, तो तूहिमें आराम है ।।२।।
मोहनी माया लगी, भ्रमसे तुने अपना कहा ।
मस्त हो निजग्यानसे, तो तूहिमें आराम है ।।३।।
कहत तुकड्या सत्य है, तेरा स्वरूप तू जान ले।
खोज ले मैं का पता, तो तूहिमें आराम है ।।४।।