क्या खुदाई ख़ुदीसे नियार है ?
(तर्ज: नागनी जुल्फोंपे दिल... )
क्या खुदाई ख़ुदीसे नियार है ?
मैं तो समझा कि, एकीका तार है ।।टेक।।
पोथी पढ़नेसे पाता नही है पता।
घूमो तीरथ या मंदर, वहां ला-पता ।
वह तो धुनियाके धुनमें निसार है ।।१।।
चाहे बनमें घुमो तो न पावे वहाँ ।
खुदमें देखो तो दिखता जहाँके तहाँ ।
सारी उसकीहि मूरत तैयार हैं ।।२।।
है जरासा समझना वह सीखो भला ।
संत-संगतमें पाओ उसीकी कला ।
कहता तुकड्या मैं खोजो तुम्हार है ।।३।।