है कहाँ मुकाम तेरा ? कौन नाम धामका ?
(तर्ज : जिंदगी सुधार बंदे... )
है कहाँ मुकाम तेरा ? कौन नाम धामका ? ।।टेक।।
कोई फिरे बनके माँही, कोड़ जोग अंग रमाई ।
कोइ देखे ध्यानमाँही, लौ लगाय रामका ।।१।।
कोइ कहे सबके अंदर कोइ कहे देखो मंदर ।
संत कहे तुमही ईश्वर, रूप तेरो श्यामका ।।२।।
कोइ धुनी साध देखे, कोइ प्राणायाम भाखे ।
कोइ धुम्रपान करके, लौ लगात नामका ।।३।।
माने तो किसीका माने ? जाने तो कहाँपे जाने ? ।
कहे दास तुकड्या हमने, प्रेम किया प्रेमका ।।४।।