समझ लो रूप ईश्वरका, जभी जीवन बने प्यारा

(तर्ज : अगर है ग्यानकों पाना... )
समझ लो रूप ईश्वरका, जभी जीवन बने प्यारा ।
कपट-छलकों हटा करके, करो तनसे इन्हें न्यारा ।।टेक।।
न धरना है गले माला, न भरना है भसम तन यह ।
हमेशा प्रेम नैननमों, करो सत काम उजियारा ।।१।।
न जाना है कहाँ देवल, न तीरथमें मुंडानेको ।
नीतिसे पैर धरकरके, करो शम-दमकों अखत्यारा ।।२।।
हमेशा वृत्तिकी धारा, करो एकांत आतममें ।
लगाओ ध्यान अंदरको, चमकता है ख़ुदी तारा ।।३।।
वह तुकड्यादास कहता है, करो सत्‌-संग जा करके ।
गुरूसे पूछ लो मारग, जभी होता है उजियारा ।।४।।