दिलदार यार ! हो हुशार, काहे सो रहा ?
(तर्ज : किस देवताने आज मेरा... )
दिलदार यार ! हो हुशार, काहे सो रहा ? ।
नगरीमें चोर घुस गये, तुझको खबर कहाँ ? ।।टेक।।
दस-बीसका मेला हुआ, यह शोर मच रहा ।
घर मालको लुटा लिया, तू मौज पा रहा ।।१।।
छ: बड़े डाकू लगे, न बातको सुने ।
दिल किया बदनाम सभी, पाप भो रहा ।।२।।
क्या तुझे ख़बर नही ? तू झूमता रहा ।
तुकड्याकि याद रख भला, न भूल जा कहाँ ।।३।।