दिन जा रहे बीते सभी, मैं क्या कहों करूँ ?
(तर्ज : किस देवताने आज मेरा...)
दिन जा रहे बीते सभी, मैं क्या कहों करूँ ? ।
पका भरोसा है नहीं, के राम - धुन धरूँ ।।टेक।।
किशोर चलगया, जवानि पापमें रही ।
ना बने अभी, हरि - हरी भि क्या मरूँ ? ।।१।।
सुझता न मुझे आखरी उपाव क्या करूँ ? ।
गुरुदेव ! ऐसी कर दया कि चक्र यह हरूँ ।।२।।
कठिन बक्त आयगी, तो कौन है मेरा ? ।
बस आस एक है तेरी, यह आखरी स्मरूँ ।।३।।
मुझको पता चला कि, बिना तेरे ना कोई ।
तुकड्याकि खबर ले लीजिये, तबही मैं तरूँ ।।४।।