तुमबिन कौन खबरले मोरी ?
(तर्ज : जय जय विठ्ठल बोला... )
तुमबिन कौन खबरले मोरी ? तुम बिन०।।टेक।।
सब जग नाम तुम्हारो गावे, प्रभु भक्तनको साथ दिलावे ।
सारा भवसागर तर जावे, लगे नहि देरी, लगे नहिं देरी ।।१।।
गजने नाम पुकारा जलमें, हरि ! तुम दौरत आये पलमें ।
तुमने लाज रखी वा स्थलमें, भली बलिहारी भली बलिहारी ।।२।।
द्रौपदी बीच सभाके माँही, तुम्हरी नाथ! पुकार कराई ।
तुमने लाखों वस्त्र दिलाई, दुःखसे टारी, दु:खसे टारी ।।३।।
धृवनें नाम तुम्हारा गाया, उसको आखिर, अमर कराया ।
तुम्हरी है अचरजही माया, बेद पुकारी, बेद पुकारी ।।४।।
तुकड्यादास कहे हम भूले, भवसागरमें पड़े अआकेलें ।
अबके दासकों आय सम्हाले, बड़ा दुख भारी, बड़ा दुख भारी ।।५।।