जो गैया घरमें पाले, उनको लाखों प्रणाम

(तर्ज : गैयाके पालनवाले ! तुमको...)
जो गैया घरमें पाले, उनको लाखों  प्रणाम ।
जो दिलसे चारा डाले, उनका कुछ तरा तमाम ।।टेक।।
गैयाकी महिमा भारी, उसमें अमृतकी धारी ।
जो दोहे गैया प्यारी, वे पाते हैं     सुखके    धाम ।।१।।
जग पाले गेैया सारी, जिसपर खूश रहे नरनारी ।
उनबैलोंकी बलिहारी, जिनपर बैठे शिवभगवान ।।२।।
गौ कामधेनु जगमाँही, जिससे भारत धनको पाई ।
दे गरिबोंकोभि दुहाई, करती सब दुनियाका काम ।।३।।
गैया ना बेचो कोई, बेचो तो भला न होई ।
कहे तुकड्या गैया माई, कुलको देती  है    अराम ।।४।।