दर्शन कब दोगे श्याम ! दिलमें याद आती है
(तर्ज : गैयाके पालनवाले ! तुमको...)
दर्शन कब दोगे श्याम ! दिलमें याद आती है ।
नैना भई बेचैन, पलपलको सताती है ।।टेक।।
चुपकेसे कान पुकारे, कहाँ मुरली वह झनकारे ?।
अब आओ बंसीवारे ! दुनिया लटपटाती है ।।१।।
बस, गया जमाना सारा, जब तुमने कंस पछारा ।
गोपाल सुखी कर डारा, यह पोथियाँ बताती है ।।२।।
गौओंका खुदसे पाला, भारतमें किया उजाला ।
बतलाया ढंग निराला, वह गीता सुहाती है ।।३।।
यह पीछे सुनते आये, तुम धर्मके बाँह उठाये ।
अब जन ये गये सताये, तुम बिन कौन साथी है ? ।।४।।
ले चक्र सुदर्शन आओ, भारतको सौख्य दिलाओ ।
बस अपना ब्रीद बताओ, नहीं अब जी रहाती हैं ।।५।।
कहे तुकड्या क्या समझाना ? तुमने तो पहिले जाना ।
जाना जैसेही आना, बडी अब देर होती है ।।६।।