कहि मानोना मानोना
(तर्ज : गैयाके पालनवाले ! तुमको...)
कहि मानोना मानोना, फिर पछताओगे यार ! ।
यह समय गमा बैठोगे, फिरके हैं जमके द्वार ।।टेक।।
दो दिनकी जानि-जवानी, सब भूलेगी सैलानी ।
कायाको होगी ग्लानी, नैया अटकेगी मँझधार ।।१।।
कई राव रंक दुनियामें, ना रहे हए सब फाने ।
ये बातें जो कोइ जाने, उनका होगा उध्दार ।।२।।
मानुजका देह पियारा, फिर नही मिलेगा यारा !।
कुछ साधो जिया - उजारा, हारो इस भूमीका भार ।।३।।
खुब सेवा करो प्रभूकी, जो घटघट रमता वाकी ।
कहे तुकड्या वक्त अनोखी, सुनकर हो जाओ पार ।।४।।