कहाँ बताओ गिरिधारी

(तर्ज : पिया मिलनका जाना... )
कहाँ बताओ गिरिधारी ।
साँवरा रँगमें, है जिसकी बंसी पियारी ।।टेक।।
ढूँढा मैं सारी जहाँ, पाता पता ना कहाँ ।
छूपा है क्या कुंजमें ? बेचैन नैना हमारी ।।१।।
सिर मोरपँखियाँ, दीवानी अखियाँ ।
माला गले, कुंडल खुले, भौहोंकि छबि है नियारी ।।२।।
बिगड़ा है रंग, अब आया है जंग, नीतीकि बाहें कटी ।
तुकड्या कहे याद लो,   गीताकि   बातें   तुम्हारी ।।३।।