करना है मनपे सवारी

(तर्ज : पिया मिलनका जाना... )
करना है मनपे सवारी ।
पावने धामको, जहँ हककी जहाँ हमारी ।।टेक।।
दे करके पूरा लगाम, पढना है सचका कलाम ।
जब मन यह गावेगा राम, तब लौ    लगेगी    हमारी ।।१।।
अँधियारि कोठरी, जामें है बाँसुरी ।
ऊठे है तान, होता है गान, दिखती है ज्योति नियारी ।।२।।
बिजलीके तार, होता उजार, कई मोतियोंकी बहार ।
तुकड्या कहे रंग लावे, तबही तो     सुरती    हमारी ।।३।।