काहे डरे पापियोंको ?
(तर्ज : पिया मिलनको जाना... )
काहे डरे पापियोंको ?
क्या तुझे खौंफ है ? दिखता न फिर क्यों किसीको ?।।टेक।।
सागरमें देखा ठिकान, लेकर धरा-धर महान ।
लक्ष्मीभि रखके समान, अपने सम्हलात है जीकों ।।१।।
हमको क्या आस है ? तू जब उदास है ।
दिखता अंधार, मिलता न थार, करता है काहे हँसीको ?।।२।।
नैया हमार, लगी मँझधार, ना हो बचाना तुम्हें ।
कह दो बडा हमसे काल पायेंगे हमभी खुशीको ।।३।।
ईश्वर कहावना, तज दो यह अपना ।
संतोका गान, तुकड्याका प्राण, गरचे बचाना इसीको ।।४।।