चलिएना देखनकों लीला

(तर्ज : तुमबिन मोरी कौन खबर ले... )
चलिएना देखनकों लीला, कुंजनबन हरि आये ।।टेक।।
जड-चतन सब बालगोपाला, मिलकर रास रचाये ।
सुध बुध छोड दिई गोपिनने, सब मिल मंगल गाये ।।१।।
तृणको तजकर दौरत गैयाँ, दिल-मनसे हरि भाये ।
रंग रँगी बन - बनकी लतियाँ, डोलत बंसि बजाये ।।२।।
मंद बहत भूमंडल वायु, जमुना-जल गहिराये ।
रवि ठाडो रथ रोक दियो है, अचरज बरणि न जाये ।।३।।
यह सब कहत उमा शंकरसो, सुन शंकर सुख पाये ।
तुकड्यादास कहे शंकरने, बालकी    रूप    बनाये ।।४।।