क्यों नैन लगा ली मोहनी ?

(तर्ज ; हम आशिक हैं उस नूरके...)
क्यों नैन लगा ली मोहनी ? ऐ भारतके हितकारी ! ।
जब तुम ना ख्याल पुरायेंगे, तब कौन पिता -महतारी ?।।टेक।।
जब तुम रूठ गये भारतसे । तबके हाल न पूछो हमसे । 
बचन तुम्हारे भूल गये फिर, लिये पेटकी चाकरी । ऐ०।।१।।
भारतमें गो-पाल नही है । जो हैं सो गो - काल भये हैं ।
पापका हंडा जोड़ जोड़कर, अब आई है आखरी । ऐ०।।२।।
कंगाली घर-घर छाई है । लक्षमी तो परदेश गई है ।
भोले भारत बासिंदे, ना रखी हत्यारें औ छुरी । ऐ०।।३।।
अबलाओंके हाल बडे हैं । भड़ओंके सिर नूर चढे है ।
फना हुये मंदीर रहे कुछ, जाते हैं अब आखरी । ऐ०।।४।।
शूरोंके करमें बंधन है । चोरोंने बाँधे कंगन है ।
हैं यह हाल कहा सब तुमसे, जरा झूठ नहि श्रीहरी ! ऐ०।।५।।
हमरी है गति जो सच गाई । अब तुम्हरेपर जामिन आई ।
बचन तुम्हारा पुरा करो वह, गीतामें हामी भरी । ऐ०।।६।।
धर्मकि ग्लानी कौन रही है ? दुर्जनके बल क्या कमती है ? ।
तुकड्यादास कहे अँखियनको, खोलो क्यों देरी करी ! ऐ०।।७।।