ऐ हिंदुस्थाँके भाइयो ! मत भूलमें समय गुजारों
(तर्ज : हम आशिक हैं उस नूरके....)
ऐ हिंदुस्थाँके भाइयो ! मत भूलमें समय गुजारों ।
आगइ वक्त नादान है, अपना कर्तव्य सुधारो ।।टेक।।
डर-डरके सब राज गमाया | कर्म-धर्मको राख लगाया ।
अपने खुनको दिया खिलाकर, अब आगे भी ना मरो । मत०।।१।।
तुम चाहो नीती करनेको । और तुम्हे चाहे मरनेको ।
छोडो इस भोली गफलतको, अपने हकपे जा परो । मत०।।२।।
अपना जश हर किसने गाना । यह है मानुजका अभिमाना ।
चाहे सो कर छोडोजी पर, दुश्मनका सँग ना करो । मत०।।३।।
जो कुछ भई, भई सो भूलो । अब अपने घरको अजमालो ।
तुकड्यादास कहे बेडर हो, गीताको दिलमें धरो । मत०।।४।।