हम आशिक उस दीदारके, क्यों मोहन !
(तर्ज : हम आशिक हैं उस नूरके. . . )
हम आशिक उस दीदारके, क्यों मोहन ! देर लगावे ? ।।टेक।।
श्याम श्याम छाया बादल है । हरियालीकी हवा शीतल है ।
मयूर कोकिलकी किलबिल है, बस भूखे हैं उस प्यारके । क्यों०।।१।।
गहरी नदियाकी तटियाली । कुंजनबनकी फूल बिछाली ।
तरूतलकी हैं छाँव निराली, बस खैचे नैना तारके। क्यों०।।२।।
श्याम रंग उस गिरिधारीका । मोरमुकुट कुंडल है बाँका ।
कसा पितांबर जरीभरीका, बस कमल-नयन उजियारके। क्यों०।।३।।
तिरछी नजर गलेमें माला । दिखनेको है ढंग निराला ।
तुकड्यादास कहे मतवाला, बिन मिले सबर नहि यारके । क्यों०।।४।।